सुना ए बाबू सुनाए भइया माना बचवनिया हमार, भजन कइला भइया सुना गोसइया

 (29)

सुना ए बाबू सुनाए भइया माना बचवनिया हमार




सुना ए बाबू सुनाए भइया माना बचवनिया हमार ।

मोरे सुगनवा हो 2 रखिहा जग में उत्तम् व्यवहार । टेक।।

जाति-पाति के भेद न रखिहा सबके गले लगावा।

दुसरे के कहला में पड़ि के धर्म नाही नसावा ।

मोर सुगनवा हो 2 तनि कइला बतिया पर विचार।। 1|मोरे।

जवन कैकयी मानत रहली रामचन्द्र के श्वास ।

मंथरा के कहले में पड़िके दिया राम बनवास ।

मोर सुगनवा हो-2 उजरि गइले माथे के सिंगार ।। 2|मोरे ।

बहुते कपटी छली जगत मे आपन स्वार्थ सधाई ।

शकुनी के दुयोधन ना बुझले पाण्डव से करे लड़ाई ।

मोर सुगनवा हो 2 कटी-कटी गिरले पूरा परिवार ।। 3 । मोरे।

ऐसे फूट भइल देशवा में लूटे बहुत चण्डाल ।

कहैं कुमार अब का बताई देशवा के हम हाल ।

मोर सुगनवा हो 2 कबहुना करिहा केहुके तिरस्कार|। 4 |मोरे।


(30)


भजन कइला भइया सुना गोसइया


भजन कइला भइया सुना गोसइया ।| टेक ।।

जवने जवनिया के इतना गुमान बा

पता चली वह दिन जब आई बुढ़इ्या ।। 1।।

        जैसे बनरवा बा जगल के वासी

       झंखेला वह दिन जब फसे सुरहिया | |2 ||

खात पियत आनन्द रहे गइया

तडपेले वह दिन जब पकड़े कसइया ।3।

       कहले कुमार भजन कइला राम के

       मिटि जाई तुहरो सगरो बलइया ।। 4 |।

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