धनवा के लोभ मे लागवा पड़ल बाटे, घेरले बा भरम के बदरिया डगरिया भुलाई गइली सजनी

 (31)

धनवा के लोभ मे लागवा पड़ल बाटे



धनवा के लोभ मे लागवा पड़ल बाटे

केहुवे ने केहू के यार ए बाबू झूठे जगत व्यवहार । टेक।।

मेहनत मजूरी करके खिअवली-

दुखसुख ठन्डा गरमी सहि के जीअवली

जवने लड़िकवा से आसरा लगवली तवने फोरे कपार ए बाबू ।।1 ।।

      जेकरे प्रति रहे मनवा में चाहत

      उहेत लोगवा करेला बगवात

उनके मनवा में दूसरे चलेला पीठ पीछे करेले बार ए बाबू । 2 ।।

      जबले बा पदवी सूने सब पुकार हो

      रहिया बटी हिया सब करे नमस्कार हो

पदवी के छुटते पूछे ना कोई कोई ना झांके द्वार ए बाबू ।|3 ।।

     कहै कुमार कइला राम के भजनिया

     माया में पड़ि काहे बनला नचनिया

अब तक नाहीं केहू एके न विवाहल आजहूं घुमेले कुवारए बाबू ।4 ।।



(32)

घेरले बा भरम के बदरिया डगरिया भुलाई गइली सजनी




घेरले बा भरम के बदरिया डगरिया भुलाई गइली सजनी। टेक।।

      नैहर से घना सासुर चलली

ठगवन के मिलल नगरिया - डगरिया भुलाई०-।। 1 ।

     माथे से एक एक गहना उतारे

लूटि धन भझले कगरिया - डगरिया भुलाई०- ||2 ।।

     ससुरे न पहुँचे नैहर नाहीं लौटे

धोखवा में बितल उमरिया -डगरिया भुलाई०- ।|3 ।।

    राजकुमार बलिहारी सतगुरु की

रखली चरन में पगरिया- डगरिया भुलाई०- |4 ।

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.