दिलवा मं बसले दिलदार बहरवा भुलाइई गइले संतो, कइसन बाटे ससुरवा के गाँव सखी

 (৪2)

दिलवा मं बसले दिलदार बहरवा भुलाइई गइले संतो



दिलवा मं बसले दिलदार बहरवा भुलाइई गइले संतो। टेक।।

साँच बात कहला पर सब खिसियाला

झूठ पर कर इतबार । बहरवा भुला ।।

जहां कुछ नाही तहां सब कुछ माने

जहाँ बा वहों नाही स्वीकार ।। बहरवा भुला

हाथ पैर जोरि देवी देवता मनवले

कबहू ना भइले दीदार । बहरवा भुला।

कहै कुमार सन्त मिले जब पारखी

खुल गईले भरम किवार ।। बहरवा भुला



(৪3)

कइसन बाटे ससुरवा के गाँव सखी



कइसन बाटे ससुरवा के गाँव सखी ।। टेक ।।

कइसन रीति बा कइसन रीवाज हो

गउँवा के कौन बा नॉँव सखी ।। कइसन बाटे।।1 ।।

कइसन रग बाटे कझसन रूप हो

तनी बतावा सिर से पाव सखी । कइसन बाटे।2 ॥।

कइसन जेठ बाने कइसन जेठानी

कइसन देवरवा के भाव सखी । कइसन बाटे।॥3।।

कहले कुमार ससुरवा निराला

वहों ना होला दुराव सखी । । कइसन बाटे । 14 ॥।

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