होंग पाखण्ड फैले लागल चमत्कार हो,रखले संत कबीर जी सगरो बन्धन तोड़ के

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होंग पाखण्ड फैले लागल चमत्कार हो



होंग पाखण्ड फैले लागल चमत्कार हो।

साहेब कबीर तब लिहले अवतार हो। टेक ।॥

     जात पात ऊच नीच बढ़ल भेद भाव हो

     मानव से मानव करे लागल दुराव हो।

नफरत के खड़ा हो खे लागत दीवार हो साहेब कबीर

हिन्दू और मुस्लिम मचावत रहले दंगा।

      राम और रहीम लेके करत रहले पंगा।

      एक दूसरे पर खिचत रहले तलवार हो ।। साहेब कबीर

आपन आपन डफली बजावत रहले सब हो

पूरब में राम खोजे पश्चिम में रख हो

दिलवा के अन्दर नाहीं खोजे दिलवार हो ।। साहेब कबीर

     केहू कारटे गाय केहू मारत रहल बकरा

    जीभिया के स्वाद में बनावत रहल नखरा

    घट घट में नाहीं देख पावे सिरजनहार ।। साहेब कबीर

साधू सन्त के समझे नाहीं बात हो

सोवे वाला नीचे ऊपर भइल बाटे खाट हो

कहहि कुमार सत के भइल बहिस्कार हो ।। साहेब कबीर



(50)

रखले संत कबीर जी सगरो बन्धन तोड़ के साहेब से नाता जोड़ के ना


रखले संत कबीर जी सगरो बन्धन तोड़ के

साहेब से नाता जोड़ के ना ।। टेक।॥

     निजरूप के लखवले - तृहरे शक्ति के देखवले

सुतल जीयरा के जगवते झकझोर के - साहेब से नाता ।

      सनो हिन्दू मुसलमान - दिहले एक ही फरमान

तनि प्रेम बढ़ावा कपट केवड़्िया खोल के - साहेब से नाता

    उनके वाणी में अंगार - कइले भरम के संहार

"कुमार'राह बतवले साखी शब्द बोलके- साहेब से नाता

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